रविवार, 9 दिसंबर 2012

बच्चे शब्दों पर बहुत गौर करते है ....

बच्चे छोटे और भोले से लगते जरुर हैं पर समझते सब कुछ है। बोलने के लिए उनके पास पर्याप्त शब्द चाहे ना हो लेकिन जो भी हम बोलते हैं या हमारा आचरण बहुत जल्द पकड़  लेते है।

एक बच्चा स्कूल से आया तो  उसकी माँ ने देखा के वह अपनी कॉपी में काम सही तरीके से नहीं उतार  कर लाया। माँ के डांटने पर बच्चा मुहं फुला कर बोला , " आप पैदा ही क्यूँ हुए ...?"
अब बात इतने मासूम तरीके से गाल फुला कर बोली गयी थी कि माँ को बरबस हंसी आ गयी।लेकिन सोच में पड़ गयी कि उसके माता-पिता ने भी यह बात उसे नहीं कहा  और वह या उसके पति ने भी कभी ऐसा नहीं कहा अपने बच्चों को , तो यह बात इसने कहाँ से सीखी।
उसने बच्चे से पूछा क्या उसकी टीचर ऐसे बोलती है। बच्चे ने बताया कि एक लड़की ऐसा बोलती है जो उसके साथ पढ़ती है। माँ ने उसे तो प्यार से समझा दिया के ऐसा नहीं बोलते।लेकिन क्या बच्ची की माँ के लिए ऐसा बोलना सही था ?और क्या एक टीचर को इस बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए था ?

अब दो छोटे  बच्चे है एक भाई और एक उसकी बहन। भाई बहुत शरारती है और बहन बातूनी है। भाई जो बहुत शरारती है कभी दीवार पर चढ़ता तो कभी वहां से छलांग लगा देता। उसे ऐसा करते देख उसकी माँ की सहेली बोल पड़ी , " अरे वाह ...! तू तो बड़ा हो कर पुलिस में या सेना में जायेगा ...! बहुत जोश और फुर्ती है तुझ में ...,"
तभी बहन बोल पड़ी , " नहीं आंटी , मेरे पापा तो कहते है यह बड़ा हो कर चोर बनेगा ..!"
सुन कर बच्चों की माँ बहुत शर्मिंदा हुयी और उसकी सहेली  मन ही मन बहुत हैरान हुई लेकिन हंस कर बात टाल गई।

अब एक और बच्चे की बात ...वह शाम को खाने के वक्त अचानक पूछ बैठा , " क्या हमारा देश चोरो का देश है ...!"
अब सवाल ऐसा था तो माता-पिता दोनों चौंक उठे और एक साथ ही पूछा कि वह ऐसा क्यूँ कह रहा है।तो बच्चे ने बताया के उसके ट्यूशन वाले सर ऐसा कह रहे थे कि भारत तो चोरों का ही देश है ,विदेश में सब अच्छा होता है। बच्चे के अभिभावक बहुत हैरान हुए और अगले दिन टीचर को उनकी गलती बताते हुए हटा दिया।जब एक शिक्षक ही बच्चे से ऐसी बात करेगा तो वह क्या  से सीखेगा ?

ऐसी बहुत सारी  बातें और उदहारण हमें अपने आस- पास मिल जायेंगे। यह बताने वाली या समझाने वाली बात नहीं है के बच्चे कहाँ से और क्या सीखते है।
 माता-पिता , शिक्षक हर कोई इस बात से परेशान  है के आज -कल के बच्चे बहुत बिगड़ गए है , किसी को समझते नहीं है। बड़ों की इज्ज़त ही नहीं रह गयी।देश के लिए प्रति प्यार ही नहीं रह गया अदि-आदि ....
सारा दिन देश के नेताओं को कौन कोसता है। माना कि अधिकतर नेता बहुत भ्रष्ट है और देश -हित के लिए नहीं बल्कि वे अपना ही हित साधते हैं।पर ये बात बच्चे नहीं समझते। वे जब छोटे होते है तो सिर्फ अपने बड़ों का नजरिया ही समझते है और वही बात उनके मन में घर कर जाती है और सारी  उम्र किंकर्तव्यमूड में ही जीते हैं।

बच्चों को सारा दिन देश को कमतर और विदेश या विदेशी वस्तुओं को बेहतर कौन बताता है।शिक्षकों की बुराई कौन करता है।यह तो उनके अभिभावक या शिक्षक ही करते हैं।
आज-कल जैसी पीढ़ी का निर्माण हो रहा है उसे देख कर तो मन सहमा सा ही जाता है।पर इसका जिम्मेदार कौन है ......


शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

चिड़िया जैसी गुड़िया ...

एक चिड़िया
एक गुड़िया ....
चिड़िया जैसी गुड़िया  ...

और चिड़िया ...!
चिड़िया जैसी कोई नहीं
पर फैलाती उड़ जाती
दाना चुगती
चहचहाती
कभी - कभी ठुमक कर
चलती
बिन घुंघरू छनकती ......




और गुड़िया ...!
पर नहीं फैलाती
मन की उड़ान ही भरती ..

पैरों में पायल
ठुमक कर भी ना चलती ..

चिड़िया से मिली गुड़िया
गुड़िया मुस्काई
चिड़िया चहचहाई ...


चिड़िया पर फड़फड़ाती
उड़ जाती ..
गुड़िया भी "पर" फड़फड़ाती
उड़ ना पाती
चल भी ना पाती
कमजोर पैर
बस नजर भर देखती
उडती चिड़िया ....